Sunday, November 7, 2010

अजनबी शहर है... अजनबी शाम है...

और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी कभी युही चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है...
अचानक अपना साया भी मुझको अजनबी सा लगता है....
सोचता हू की इस नए शहर में नयी ज़िन्दगी शुरू करू....
पर हर मोड़ पर हर चेहरा पुराना लगता है....
सब कुछ तो ठीक है यहाँ लेकिन कभी कभी यह शहर अचानक तन्हा लगता है....


PS - Special thanks to Saba for giving me the first line for this... I just added others...

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